हौसलो के आगे जीत है !एक मालगाड़ी लोको पायलट
हौसलों के आगे ही जीत होती है....!
रेल के विकास में सर्वाधिक योगदान यदि किसी का है तो वो है....लोको पायलट का..! विगत वर्षों की रिपोर्ट में कोयला ढुलाई में रिकॉर्ड हासिल कर रेलवे ने कीर्तिमान स्थापित किए हैं।इनका सम्पूर्ण श्रेय हमारे गुड्स लोको
पायलट को जाता है।जो दिन,रात,गरमी,बरसात में बेफिक्र रेलवे की सेवा करते आये हैं।आज भी वह देश में अनाज आदि की पूर्ति करने हेतु प्रतिबद्ध है।सवारी गाड़ी पूर्णत बन्द है मालगाड़ी वाला स्टाफ भी किसी सैनिक से कम नहीं। वर्तमान परिवेश में कोई हाथ में ग्लब्ज पहने है तो कोई मुंह में रुमाल बांधकर अपनी गाड़ी को गंतव्य तक पहुंचा रहा है।समय समय पर सेनिटाइजर का उपयोग कर खुद को सुरक्षित रख रेल के पहियों की गति को निरंतर बनाए है।दो ट्रेक्शन में नाना प्रकार के इंजन उस पर किस्म किस्म का लोड अपने आप में नित नई कहानी गढ़ता है। कहीं हाफ ट्रेक्शन तो कहीं इन्वेलीड बी.पी.सी.,एक चालक को सभी प्रकार का सामंजस्य स्थापित करना रनिंग रूम में ठन्डे खाने को
पचाने जैसा है।गरमी की दस्तक शुरू हो चुकी है।हमेशा की तरह हमारा स्टाफ अपनी खीज दरशाने के लिए लॉग बुक पे इंजन को वातानुकूलित बनाओ लिखना शुरू कर चुका है।जैसा कि हम थंड आने पर इंजन में एयर टाइट करने की मांग शुरू करते हैं।चालक और दिक्कतों का चोली दामन का साथ रहता है।गाडियां अंत में मैथ के प्राइवेट नंबर से चल ही जाती हैं।सबसे बड़ी परेशानी एक चालक को किसी सेक्शन में लंबे अंतराल बाद जाने में होती है।उस पर भी नाईट की ट्रिप।अपने बुलंद हौंसले के जरिए उस पर भी वह विजय पाता है इसलिए लोको पायलट कहलाता है।
जय हिंद जय भारत
ReplyDeleteजय हिंद जय भारत
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