जावे सो मेरा नहीं मेरा सो जावे नही
जय श्रीराम।।
आज की बात-"जावे सो मेरा नही,मेरा सो जावे नही"-बिश्नोई पंथ प्रवर्तक जाम्भोजी ने ये बड़ी सार्थक बात कही है।संसार में हम आये तब क्या लेकर आये?कुछ नही,बन्द मुट्ठी आये थे,जो भी कुछ अर्जित किया वो इस संसार में आने के बाद ही किया,धन दौलत,नाते-रिश्ते,मकान-दुकान सभी यही प्राप्त हुये।जो हम लेकर ही नही आये यदि वो चला जाये तो दुःख और पीड़ा किस बात की....जो हमारा है वो कदापि नही जायेगा,हमारा क्या है?इस पर विचार करे तो पता चलेगा की जो यश,कीर्ति,प्रतिष्ठा और ख्याति हमने अर्जित की वो हमारी है,वो कही भी नही जायेगी,हमारा स्थूल शरीर जरूर चला जायेगा पर सत् कर्म किये उनकी कीर्ति कहि नही जायेगी,मनुष्य या मानव तो सभी है पर जो महामानव है वो मर कर भी अमर हो जाता है।
मित्रो,विख्यात और कुख्यात दोनों एक दूसरे के बिल्कुल विपरीत अर्थ वाले शब्द है,जो परोपकार करता है,दूसरो की सेवा करता है,पात्र की मदद करता है,देश-धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों तक की आहुति देता है वो संसार में विख्यात होता है,ख्याति अर्जित करने में बहुत समय लगता है,बहुत त्याग करना पड़ता है।जो लोगो को कष्ठ देता है,दुराचारी,व्यभिचारी,मलेच्छ प्रवर्ती का होता है वो कुख्यात होता है,उसके नाम से ही भय का वातावरण हो जाता है।सभी मनुष्य जन्म एक समान रूप से लेते है,सभी माँ के गर्भ से पैदा होते है,सीधे आसमान से कोई अवतरित नही होता,इस संसार में आकर कर्म करने से ही आदमी प्रतिष्ठा प्राप्त करता है।विख्यात होने में जिंदगी खप जाती है,कई लोग जिंदगी भर परोपकार के काम करते है पर उनको कोई नही जानता,क्योकि वो अपने पुन्य कार्यो का डिंडोरा नही पीटते,वहीँ एक दिन ही कोई बड़ा कांड कर दो सारी दुनियां में पता चल जायेगा।
मित्रो,हम संसार में आये है तो हमे नेक काम करने चाहिये,कुछ ऐसा भी काम करना चाहिए की लोग मरने के बाद भी याद करें।दुनिया में कई करोड़पति,अरबपति पैदा हुये और मर गये,कोई इतिहास नही है उनका,जिन्होंने समर्पण किया उनको सभी याद करते है।मारवाड़ी में एक कहावत है"के तो रेसी गीतड़ा अर् क रेसी भीतड़ा"यदि कुवा-बावड़ी,स्कूल-धर्मशाला आदि कुछ भी बना कर चले गये तो पीढियां याद करेगी,जो गीतों में गया जाने लगता है वो भी अमर हो जाता है।बलजी-भूरजी,डूंगजी-जवाहर जी,लोठू जाट,करणा मीणा अपने समय के धाड़ायति थे,खुले आम चेलेंज देकर डाका डालते थे,अंग्रेजो का राज था,गोरे लोग हमारा शोषण करते थे,इन लोगो ने अंग्रेजो की छावनियों तक लूटा,अंगेजी राज में ख़ौफ़ पैदा हो गया,बलजी-भूरजी के गीत लोग आज भी गाते है।
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