शोहरतें एक शानदार कविता


एक खूबसूरत कविता,,

_"रब"  ने.  नवाजा   हमें.  जिंदगी.  देकर;_
_और.  हम.  "शौहरत"  मांगते   रह   गये;_

_जिंदगी  गुजार  दी  शौहरत.  के  पीछे;_
_फिर   जीने   की  "मौहलत"   मांगते   रह गये।_

_ये   कफन ,  ये.  जनाज़े,   ये   "कब्र" सिर्फ.  बातें   हैं.  मेरे   दोस्त,,,_
_वरना   मर   तो   इंसान   तभी   जाता  है जब  याद  करने  वाला  कोई   ना. हो...!!_

_ये  समंदर   भी.  तेरी   तरह.  खुदगर्ज़ निकला,_
_ज़िंदा.  थे.  तो.  तैरने.  न.  दिया.  और मर.  गए   तो   डूबने.  न.  दिया . ._

_क्या.  बात   करे   इस   दुनिया.  की_
_"हर.  शख्स.  के   अपने.  अफसाने.  हे"_

_जो   सामने.  हे.  उसे   लोग.  बुरा   कहते.  हे,_
_जिसको.  देखा.  नहीं   उसे   सब   "खुदा".  कहते.   है.   ?????

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