रेल लाइन पर दौड़ते लोकोमोटिव की कहानी लोको पायलट की जुबानी 🚝🚅🚂
रेल पटरियों पर दौड़ते लोकोमोटिव 🚂 सिर्फ लोहे और मशीनों का ढांचा नहीं होते, बल्कि ये हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन जाते हैं। जब कोई नया लोको मिलता है, तो एक अजनबीपन महसूस होता है, लेकिन जैसे-जैसे सफर बढ़ता है, एक अपनापन सा होने लगता है। हर इंजन की अपनी एक पहचान, एक स्वभाव होता है, जिसे हम लोको पायलट कुछ ही समय में समझ जाते हैं।
कुछ लोको हल्के हाथों से चलने वाले होते हैं, मानो जैसे जरा सा इशारा करते ही अपनी पूरी ताकत झोंक दें। कुछ धीमे, ठहराव लिए हुए, जो अपने ही अंदाज़ में गति पकड़ते हैं। कुछ लोको बड़े ही संवेदनशील होते हैं—हल्का सा झटका भी महसूस करा देते हैं, जबकि कुछ इतने सहज होते हैं कि जैसे किसी अनुभवी चालक की तरह खुद ही सफर तय करा दें।
डीजल लोको की गहरी गड़गड़ाहट अलग होती है, इलेक्ट्रिक लोको की तीव्रता कुछ और ही एहसास कराती है। कुछ लोको ऐसे होते हैं जो मानो हर सफर में साथ निभाने का वादा कर चुके हों—हर बार मिलते ही लगता है, "अरे, पुराना साथी मिल गया!"
लंबे सफर में जब कई घंटों तक अकेले इंजन के केबिन में रहते हैं, तो लोकोमोटिव से एक अजीब सा रिश्ता बन जाता है। जब कोई लोको सही से चल रहा हो, तो ऐसा लगता है जैसे वह भी हमारे साथ सफर का मज़ा ले रहा हो। और जब कोई समस्या आती है, तो लगता है कि वह हमसे कुछ कहना चाहता है, जैसे एक साथी अपनी परेशानी साझा कर रहा हो।
पुराने लोको से जब दूरी बनती है और किसी नए लोको को चलाने का उत्साह तो होता है, लेकिन पुराने साथी की आदतें याद आती हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि किसी एक लोको पर बार-बार ड्यूटी लगती है, और तब तो उससे रिश्ता और भी गहरा हो जाता है।
दूसरे लोग इन्हें सिर्फ इंजन समझते हैं, लेकिन एक लोको पायलट के लिए ये साथी, हमसफ़र और कभी-कभी मन की बातें समझने वाले होते हैं। ये वो हैं जिनके साथ हर मौसम, हर परिस्थिति में हमें आगे बढ़ना होता है। जब ट्रेन सही समय पर मंज़िल तक पहुँचती है, तो सिर्फ एक सफर पूरा नहीं होता, बल्कि लोको और पायलट के बीच का एक और भरोसेमंद अध्याय जुड़ जाता है।
मेरा लोको सिर्फ एक मशीन नहीं, मेरा साथी है। यह मेरा हमसफ़र है, और इसके साथ बिताया हर सफर एक यादगार कहानी बन जाता है।❣️
📸✍️रेल पायलट #Saini
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